कैरेट की कहानी
मैं शुभम-सचदेव सुनाने आ रहा हूं कहानियां - आप सुनेंगे क्या ? पता है मम्मी मुझे बहुत कहानियां सुनाती है और मुझे कहानियां सुनना बेहद पसंद है । मैं जिसकी भी कहानी कहता हूं मम्मी झट से सुना देती है ,अब तो मुझे भी कहानी बनाना आ गया है । मैं भी मम्मी को कहानियां सुनाने लगा हूं ।
तो सुनिए मेरी पहली कहानी , जो रात को ही मैने मम्मी को सुनाई ।
हां गुस्सा करने से बच्चों को कभी अच्छा नहीं लगता ।उनको डांट भी अच्छी नहीं लगती और झांपड भी अच्छा नहीं लगता ।
तो सुनिए मेरी पहली कहानी , जो रात को ही मैने मम्मी को सुनाई ।
एक कैरेट थी । वो बहुत नटखट थी । उसके हाथ थे , मुंह था , आंखें थी , पर वह चल नहीं सकती थी ।
पता है वह क्यों नहीं चल सकती थी ?
क्यों नहीं चल सकती थी ?
क्योंकि वह सारा दिन शैतानी करती थी , सारे ट्वायस तोड देती थी , शोर करती थी , होमवर्क नहीं करती थी , बच्चों से फ़ाईट भी करती थी ।
फ़िर......?
फ़िर उसकी मम्मी नें उसको मारा था तो उसको चोट लग गई थी ?
हां मारना तो बहुत गंदी बात होती है । पर इतनी शैतानी भी नहीं करते न । फ़िर मम्मी को कई बार गुस्सा आ जाता है न ?
गुस्सा कभी नहीं करते ?
सच्ची ...
हां गुस्सा करने से बच्चों को कभी अच्छा नहीं लगता ।उनको डांट भी अच्छी नहीं लगती और झांपड भी अच्छा नहीं लगता ।तो बच्चों को क्या अच्छा लगता है ?
बच्चों को पाली अच्छी लगती है , बस पाली ।
जब मैं गंदी बात करूं न तो आप भी मुझे प्याल से बोलना , गुस्सा कभी नहीं करना ।
ओ.के. मैं कभी गुस्सा नहीं करुंगी , पर कैरेट का क्या हुआ ?
कैरेट को जब उसकी मम्मी नें मारा तो वह नोई-नोई करने लगी ।
फ़िर.....
फ़िर उसकी मम्मी नें उसको चिज्जी दी तो वह हंसने लगी और उसकी चोट भी ठीक हो गई और वह चलने लगी ।


टिप्पणियाँ
आपके इस ब्लॉग को देखकर
बहुत ख़ुशी हुई!
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स्वागत!
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बधाई!
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शुभकामनाएँ!
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आपकी छवि बहुत सुंदर है!