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हर बुराई में एक अच्छाई ( कहानी )

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प्रिय दोस्तो , मैं फ़िर से उपस्थित हूँ अपनी एक छोटी सी नई कहानी के साथ , जिसका शीर्षक है ... . हर बुराई में एक अच्छाई        एक बार एक किसान था , जिसका नाम था मलनाथ । उसके घर से थोडी दूरी पर खेत में एक कुआँ था । मलनाथ के पास दो मटके थे और वह   हर रोज कुएँ से पानी के मटके भर कर लाता । मलनाथ अकेला रहता था और अपने मटकों को भी उसने नाम दे रखे थे - एक का नाम था मिंटु और दूसरे का नाम था पिंटु । एक दिन मिंटु मटका रोने लगा । पिंटु ने उससे रोने का कारण पूछा तो मिंटु रोत्र-रोते बोला - मैं बहुत बदनसीब हूँ , क्योंकि मुझमें दो-तीन छेद हैं और जिसके कारण मैं पूरा पानी अपने मालिक को नहीं दे पाता ।  फ़िर भी वह मुझे फ़ेंकता नहीं है । मिंटु को अपनी मजबूरी और अपने मालिक की दयालुता पर बहुत दुख हुआ । उन दोनों की बात मलनाथ चुपके से सुन रहा था । वह उनके पास आया और मिंटु को समझाते हुए बोला - कभी भी अपने आपको कमजोर नहीं समझना चाहिए । हर बुराई में भी कहीं न कहीं अच्छाई छुपी होती है । फ़िर वह पिंटु और मिंटु को अपने साथ उस रास्ते पर ले गया , जिस रास्ते से वह रोज पानी भर कर लाता था । रास्ते में बहुत सारे

Maadhav kaa Birthday ( A smaal story )

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LMü sÉQûMüÉ jÉÉ , ÎeÉxÉMüÉ lÉÉqÉ jÉÉ   qÉÉkÉuÉ | uÉWû oÉWÒûiÉ WûÏ vÉæiÉÉlÉ oÉccÉÉ jÉÉ , AmÉlÉÏ qÉqqÉÏ MüÐ oÉÉiÉ MüpÉÏ lÉWûÏÇ qÉÉlÉiÉÉ jÉÉ | ExÉMüÐ qÉqqÉÏ ExÉå ÌMüiÉlÉÉ xÉqÉfÉÉiÉÏ , sÉåÌMülÉ uÉWû xÉqÉfÉiÉÉ WûÏ lÉWûÏÇ | ExÉMüÐ OûÏcÉU pÉÏ ExÉMüÐ ÍvÉMüÉrÉiÉ MüUiÉÏ mÉU uÉWû MüÉåD MüÉqÉ lÉWûÏÇ MüUiÉÉ jÉÉ | eÉoÉ uÉWû xÉÉiÉ xÉÉsÉ MüÉ WÒûAÉ iÉÉå ExÉMåü oÉjÉï Qåû mÉU ExÉMüÐ qÉqqÉÏ lÉåÇ MüWûÉ - iÉÑqÉ MüÉåD MüÉqÉ lÉWûÏÇ MüUiÉå WûÉå , ÌMüxÉÏ MüÐ oÉÉiÉ lÉWûÏÇ qÉÉlÉiÉå WûÉå , CxÉÍsÉL AoÉ MüÐ oÉÉU - lÉÉå mÉÉOûÏï , lÉÉå ÄTëæühQèxÉ , lÉÉå ÌaÉÄnOèxÉ | qÉqqÉÏ MüÐ oÉÉiÉ xÉÑlÉMüU qÉÉkÉuÉ oÉWÒûiÉ ÌlÉUÉvÉ WûÉå aÉrÉÉ , ExÉå oÉWÒûiÉ oÉÑUÉ sÉaÉÉ | ÌÄTüU eÉoÉ ExÉMüÐ qÉqqÉÏ oÉÉÄeÉÉU aÉD iÉÉå ExÉlÉåÇ AmÉlÉÏ xÉÉUÏ lÉÉåOû-oÉÑYxÉ ÌlÉMüÉsÉÏÇ AÉæU xÉÉUÉ MüÉqÉ eÉsSÏ - eÉsSÏ ZÉiqÉ MüU ÍsÉrÉÉ | eÉoÉ ExÉMüÐ qÉqqÉÏ AÉD , iÉÉå ExÉlÉåÇ oÉÉåsÉÉ   , xÉÊUÏ qÉqqÉÏ qÉæÇ AÉaÉå xÉå xÉÉUÉ MüÉqÉ MüÂÆaÉÉ AÉæU OûÏcÉU MüÉå pÉÏ ÌMüxÉÏ ÍvÉMüÉrÉiÉ MüÉ qÉÉæMüÉ lÉWûÏÇ SÕÆaÉÉ | qÉqqÉÏ lÉåÇ ExÉå ÌoÉlÉÉ SåZÉå WûÏ MüWûÉ - “ PûÏMü Wæû , PûÏ

बेबी रेबिट

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एक बेबी रेबिट था । उसे एक चाक्लेट मिली । उसनें वह चाक्लेट अपनी मम्मी को दे दी । उसकी मम्मी बहुत हैपी हुई ।फ़िर मम्मी नें बेबी रेबिट से पूछा " तुम क्या लोगे " तो बेबी रेबिट नें कहा " मुझे कैरेट चाहिए " । पर मम्मी के पास तो कैरेट नहीं था ।वो कैसे देती ? फ़िर........... फ़िर मम्मी नें बेबी रेबिट को सोरी बोला और कहा - "तुम अभी खाना खाओ , कैरेट तुम्हें कल लाकर दूंगी "। "फ़िर बेबी रेबिट तो रोने लगा होगा न .........?" नहीं , बेबी रेबिट तो अच्छा बच्चा था , उसनें मम्मी की बात मान ली "। हां , वैरी गुड , ये तो बहुत अच्छी बात है "। हां , और बेबी रेबिट नें खाना खा लिया ।जब वो खाना खा रहा था तो उसकी मम्मी कपडे आयरन करने लगी । फ़िर पता है बेबी रेबिट नें क्या किया ? क्या किया ? उसनें अपना पूरा खाना फ़िनिश कर दिया और किचन में जाकर प्लेट वाश करके रख दी और अपने हैण्ड भी वाश किए । उसकी मम्मी को पता भी नहीं चला । जब मम्मी नें देखा - टेबल पर तो खाने वाली प्लेट नहीं थी । फ़िर मम्मी नें बेबी रेबिट को पूछा -"आपनें खाने वाली प्लेट कहां रख दी तो बेबी रे

चित्रकला प्रदर्शनी

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नमस्कार दोसतो , आज लगभग दो माह बाद मैं फ़िर से आया हूं आपके लिए लेकर एक नन्ही सी कविता । कल जब हम स्कूल जा रहे थे तो रास्ते में बारिश होने लगी तो मैनें मम्मी को एक कविता सुना दी , आप भी पढिए । हां मुझसे चिमटा-चिमटा का मतलब मत पूछिएगा , वो तो मुझे क्या मम्मी को भी नहीं पता । आपको पता हो तो मुझे जरूर बताईएगा । चिमटा-चिमटा बारिश होती मोटर गाडी चलती जाती मम्मी तो छाता ले लेती मुझको रेन कोट पहनाती चिमटा-चिमटा बारिश होती हमारे स्कूल में चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । मम्मी के साथ मैनें भी कुछ चित्र / माडल बनाए । नन्हें-मुन्ने बच्चों की प्यारी-प्यारी कला-क्रितियां देखकर हमें बहुत मजा आया । आप भी देखिए उसकी कुछ झलकियां ।                                       आपका शुभम सचदेव

हर दिन हीरो बनता जाता

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पिऊं दूध और खाऊं मलाई  अच्छी लगती मुझे मिठाई  थोडा-थोडा बढता जाता  हर दिन हीरो बनता जाता 

गणेश जी की दुनिया

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नमस्कार दोसतो , आज गणेश चतुर्थी है न तो मुझे मम्मी नें गणेश जी की एक बहुत अच्छी कहानी सुनाई । मैं आपको भी सुनाऊं ---- गणेश जी की दुनिया  एक बार गणेश जी अपने बडे भाई कार्तिकेय के साथ खेली-खेली कर रहे थे , तो दोनों भाई फ़ाईट करने लगे । फ़ाईट.....पर क्यों ? क्योंकि गणेश जी के बडे भाई कह्ते थे मैं स्ट्रांग ब्वाय हूं और गणेश जी कहते मैं हूं । फ़िर .... फ़िर दोनों नें एक फ़ैसला किया । कैसा फ़ैसला ? यही कि जो पूरी दुनिया घूम कर सबसे पहले वापिस आएगा , वही स्ट्रांग होगा । तो क्या हुआ ?  तो कार्तिकेय जी तो तेज-तेज भागी-भागी करने लगे और गणेश जी तो भागे ही नहीं । फ़िर तो गणेश जी हार गए होंगे ? नहीं , गणॆश जी नें पता है क्या किया ? क्या किया ? उन्होंनें अपने मम्मी-पापा के गिर्द एक चक्कर लगाया और मम्मी की गोदि में बैठकर लड्डु खाने लगे । तो कार्तिकेय का क्या हुआ ? वो तो भागी-भागी करते-करते थक गया और जब वापिस आया तो गणेश जी को मम्मी की गोदि में आराम से बैठा देखकर बोला- अरे , तुम तो लेज़ी ब्वाय हो , देखो मैं पूरी दुनिया घूम कर आ गया और तुम वहीं बैठे हो , इसलिए मैं स्ट्रांग ब्वाय हूं

नटखट कान्हा की मुलरी ( मुरली )

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,  आपको कान्हा की पहले मैंने दो कहानियां सुनाई न और आप सबको अच्छी भी लगीं | मैं आप सब का आभारी हूँ कि आपको मेरी कहानियां पसंद आ रही हैं | अब कान्हा की एक और कहानी सुनाऊँ |  एक बार कान्हा घर में अपनी मम्मी के पास खेली-खेली कर रहा था तो उसनें बाहर से आवाज सूनी | कैसी आवाज़ ....? वो बाहर मुलरी ( मुरली , मुझे मुरली बोलना नहीं आता तो मैं मुरली को मुलरी बोलता हूँ ) बेचने वाले अंकल आए थे न | मुलरी बेचने वाले अंकल......? हाँ जैसे यहाँ नहीं आते हैं कभी-कभी और  आप मुझे लेकर देते हो ? हाँ .....|  वैसे ही .....|  फिर ......| फिर कान्हा नें अपनी मम्मी को बोला -मुझे भी मुलरी चाहिए | तो मम्मी नें पता है क्या कहा ....? क्या कहा ...? मम्मी नें कहा - तुम आगे से कोइ शैतानी नहीं करोगे तो मैं तुम्हें मुरली लेकर दूंगी | कौन सी शैतानी ? तुम किसी का माखन नहीं चुराओगे  प्रोमिस मम्मी मैं आगे से कोइ शैतानी नहीं करूंगा | कान्हा नें कान पकड़ कर मम्मी को सॉरी बोला | तो  फिर......... तो फिर मम्मी हँसने लगी और कान्हा को एक मुलरी लेकर दी | कान्हा मुलरी लेकर बहुत हैपी - हैपी हुआ और वो मुलरी बजाने लगा | फिर क्या हुआ ..