नटखट कान्हा की मुलरी ( मुरली )
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आपको कान्हा की पहले मैंने दो कहानियां सुनाई न और आप सबको अच्छी भी लगीं | मैं आप सब का आभारी हूँ कि आपको मेरी कहानियां पसंद आ रही हैं | अब कान्हा की एक और कहानी सुनाऊँ |
एक बार कान्हा घर में अपनी मम्मी के पास खेली-खेली कर रहा था तो उसनें बाहर से आवाज सूनी |
कैसी आवाज़ ....?
वो बाहर मुलरी ( मुरली , मुझे मुरली बोलना नहीं आता तो मैं मुरली को मुलरी बोलता हूँ ) बेचने वाले अंकल आए थे न |
मुलरी बेचने वाले अंकल......?
हाँ जैसे यहाँ नहीं आते हैं कभी-कभी और आप मुझे लेकर देते हो ?
हाँ .....|
वैसे ही .....|
फिर ......|
तो मम्मी नें पता है क्या कहा ....?
क्या कहा ...?
मम्मी नें कहा - तुम आगे से कोइ शैतानी नहीं करोगे तो मैं तुम्हें मुरली लेकर दूंगी |
कौन सी शैतानी ?
तुम किसी का माखन नहीं चुराओगे
प्रोमिस मम्मी मैं आगे से कोइ शैतानी नहीं करूंगा | कान्हा नें कान पकड़ कर मम्मी को सॉरी बोला |
तो फिर.........
तो फिर मम्मी हँसने लगी और कान्हा को एक मुलरी लेकर दी | कान्हा मुलरी लेकर बहुत हैपी - हैपी हुआ और वो मुलरी बजाने लगा |
फिर क्या हुआ ......?
फिर .....कल बताऊंगा कि क्या हुआ ?
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