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चित्रकला प्रदर्शनी

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नमस्कार दोसतो , आज लगभग दो माह बाद मैं फ़िर से आया हूं आपके लिए लेकर एक नन्ही सी कविता । कल जब हम स्कूल जा रहे थे तो रास्ते में बारिश होने लगी तो मैनें मम्मी को एक कविता सुना दी , आप भी पढिए । हां मुझसे चिमटा-चिमटा का मतलब मत पूछिएगा , वो तो मुझे क्या मम्मी को भी नहीं पता । आपको पता हो तो मुझे जरूर बताईएगा । चिमटा-चिमटा बारिश होती मोटर गाडी चलती जाती मम्मी तो छाता ले लेती मुझको रेन कोट पहनाती चिमटा-चिमटा बारिश होती हमारे स्कूल में चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । मम्मी के साथ मैनें भी कुछ चित्र / माडल बनाए । नन्हें-मुन्ने बच्चों की प्यारी-प्यारी कला-क्रितियां देखकर हमें बहुत मजा आया । आप भी देखिए उसकी कुछ झलकियां ।                                       आपका शुभम सचदेव

हर दिन हीरो बनता जाता

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पिऊं दूध और खाऊं मलाई  अच्छी लगती मुझे मिठाई  थोडा-थोडा बढता जाता  हर दिन हीरो बनता जाता 

गणेश जी की दुनिया

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नमस्कार दोसतो , आज गणेश चतुर्थी है न तो मुझे मम्मी नें गणेश जी की एक बहुत अच्छी कहानी सुनाई । मैं आपको भी सुनाऊं ---- गणेश जी की दुनिया  एक बार गणेश जी अपने बडे भाई कार्तिकेय के साथ खेली-खेली कर रहे थे , तो दोनों भाई फ़ाईट करने लगे । फ़ाईट.....पर क्यों ? क्योंकि गणेश जी के बडे भाई कह्ते थे मैं स्ट्रांग ब्वाय हूं और गणेश जी कहते मैं हूं । फ़िर .... फ़िर दोनों नें एक फ़ैसला किया । कैसा फ़ैसला ? यही कि जो पूरी दुनिया घूम कर सबसे पहले वापिस आएगा , वही स्ट्रांग होगा । तो क्या हुआ ?  तो कार्तिकेय जी तो तेज-तेज भागी-भागी करने लगे और गणेश जी तो भागे ही नहीं । फ़िर तो गणेश जी हार गए होंगे ? नहीं , गणॆश जी नें पता है क्या किया ? क्या किया ? उन्होंनें अपने मम्मी-पापा के गिर्द एक चक्कर लगाया और मम्मी की गोदि में बैठकर लड्डु खाने लगे । तो कार्तिकेय का क्या हुआ ? वो तो भागी-भागी करते-करते थक गया और जब वापिस आया तो गणेश जी को मम्मी की गोदि में आराम से बैठा देखकर बोला- अरे , तुम तो लेज़ी ब्वाय हो , देखो मैं पूरी दुनिया घूम कर आ गया और तुम वहीं बैठे हो , इसलिए मैं स्ट्रांग ...

नटखट कान्हा की मुलरी ( मुरली )

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,  आपको कान्हा की पहले मैंने दो कहानियां सुनाई न और आप सबको अच्छी भी लगीं | मैं आप सब का आभारी हूँ कि आपको मेरी कहानियां पसंद आ रही हैं | अब कान्हा की एक और कहानी सुनाऊँ |  एक बार कान्हा घर में अपनी मम्मी के पास खेली-खेली कर रहा था तो उसनें बाहर से आवाज सूनी | कैसी आवाज़ ....? वो बाहर मुलरी ( मुरली , मुझे मुरली बोलना नहीं आता तो मैं मुरली को मुलरी बोलता हूँ ) बेचने वाले अंकल आए थे न | मुलरी बेचने वाले अंकल......? हाँ जैसे यहाँ नहीं आते हैं कभी-कभी और  आप मुझे लेकर देते हो ? हाँ .....|  वैसे ही .....|  फिर ......| फिर कान्हा नें अपनी मम्मी को बोला -मुझे भी मुलरी चाहिए | तो मम्मी नें पता है क्या कहा ....? क्या कहा ...? मम्मी नें कहा - तुम आगे से कोइ शैतानी नहीं करोगे तो मैं तुम्हें मुरली लेकर दूंगी | कौन सी शैतानी ? तुम किसी का माखन नहीं चुराओगे  प्रोमिस मम्मी मैं आगे से कोइ शैतानी नहीं करूंगा | कान्हा नें कान पकड़ कर मम्मी को सॉरी बोला | तो  फिर......... तो फिर मम्मी हँसने लगी और कान्हा को एक मुलरी लेकर दी | कान्हा मुलरी लेकर बहुत हैपी - हैपी हुआ और वो...

क्रोअ और बंटी

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एक क्रो (कौआ ) था , वह दूर तक फ़्लाई कर रहा था । फ़्लाई करते-करते उसे बहुत भूख भी लगी और प्यास भी लग रही थी । पर वह क्या करता ? फ़िर उसनें पता है क्या देखा ? क्या देखा...? उसनें बंटी को देखा । कौन बंटी ..? बंटी जो छत पर पतंग उडा रहा था । और पतंग उडाते-उडाते उसकी पतंग कट गई और ऊपर फ़्लाई करने लगी । फ़िर........... फ़िर बंटी रोने लगा । क्रोअ बंटी को देख रहा था , वह बंटी के पास आया और बोला.... तुम क्यों रो रहे हो.....? मेरी पतंग कट गई , अब मैं कैसे खेलुंगा , बंटी नें रोते-रोते कहा । प्लीज़ तुम रोओ मत , मैं तुम्हारी हेल्प करुंगा , पर तुम्हें भी मेरी हेल्प करनी होगी ( क्रोअ नें बंटी से कहा ) मैं तुम्हारी कैसे हेल्प कर सकता हूं (बंटी नें पूछा ) मुझे बहुत भूख लगी है और प्यास भी , अगर तुम मुझे पानी पिला दो और कुछ खाने को दे दो तो मैं तुम्हारी पतंग वापिस ले आऊंगा । क्रोअ की बात सुनकर बंटी खुश हो गया ..... ठीक है मैं तुम्हारे लिए खाना और पानी लाता हूं , तब तक तुम मेरी पतंग ले आओ । सुनकर क्रोअ कांव कांव करता ऊपर फ़्लाई कर गया और पतंग अपनी चोंच में पकड कर ले आया । बंटी भी क्रोअ के...

छिपकली और चूहे

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एक न छिपकली थी , उसके बहुत सारे फ़्रैण्डस थे । पता है उसके फ़्रैण्ड्स कौन थे ? कौन थे ...? चूहे......  चूहे छिपकली के फ़्रैण्डस थे ...? हां , और वो सब मिलकर रहते थे । उनके घर के पास न एक स्नेक भी रहता था । उन्हें डर नहीं लगता था स्नेक से । लगता था , स्नेक हर रोज चूहों को मारता था । वो जब भी स्नेक को देखते घर से  भाग जाते , पर स्नेक उनके बच्चों को पकड के खा जाता ।  चूहे बहुत दुखी रहते थे , पर क्या करते ? उनकी जो फ़्रैण्ड थी न छिपकली  हां .... एक दिन उसे बहुत गुस्सा आया । और जब स्नेक उनके घर में आया न तो वह जानबूझ कर स्नेक के सामने आ गई और स्नेक नें उसे चूहा समझ कर पकड लिया और खाने लगा । जैसे ही उसे मुंह के पास ले गया छिपकली नें जोर से स्नेक की आंख में मारा । अब तो वह देख भी नहीं सकता था और इधर उधर घूमने लगा । सारे चूहे और छिपकली उसे कभी इधर से छेड्ते और कभी उधर से छेडते , पर वो किसी को भी पकड नहीं सकता था । फ़िर क्या हुआ ? फ़िर स्नेक रोने लगा और उसनें चूहों से माफ़ी भी मांगी और चूहों नें उसको जाने दिया । 

क्लाऊड्स की टक्कर और वर्षा

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एक बार मम्मी किचन में खाना बना रही थी और पता है क्या हुआ ? क्या हुआ ......? मम्मी नें प्रेशर कुक्कर खोला तो उसमें से क्लाऊडस निकलने लगे । फ़िर...........? फ़िर पता है वो क्लाऊड्स ऊपर फ़्लाई कर गए । फ़्लाई करते-करते वो बहुत ऊपर चले गए । फ़िर क्या हुआ.......? फ़िर ऊपर एक और क्लाऊड फ़्लाई कर रहा था और दोनों की जोर से टक्कर हो गई । क्यों दोनों की टक्कर कैसे हुई ? जैसे दो गाडियों की नहीं हो जाती कई बार , जब आमने-सामने आ जाती हैं तो । हां...... वैसे ही दोनों क्लाऊड्स आमने-सामने आ गए और दोनों की टक्कर हो गई । फ़िर..........? फ़िर दोनों को चोट लग गई और नोई-नोई (रोने ) करने लगे । फ़िर...........? फ़िर रेन (वर्षा ) हो गई ।