नटखट कान्हा की मुलरी ( मुरली )
, आपको कान्हा की पहले मैंने दो कहानियां सुनाई न और आप सबको अच्छी भी लगीं | मैं आप सब का आभारी हूँ कि आपको मेरी कहानियां पसंद आ रही हैं | अब कान्हा की एक और कहानी सुनाऊँ | एक बार कान्हा घर में अपनी मम्मी के पास खेली-खेली कर रहा था तो उसनें बाहर से आवाज सूनी | कैसी आवाज़ ....? वो बाहर मुलरी ( मुरली , मुझे मुरली बोलना नहीं आता तो मैं मुरली को मुलरी बोलता हूँ ) बेचने वाले अंकल आए थे न | मुलरी बेचने वाले अंकल......? हाँ जैसे यहाँ नहीं आते हैं कभी-कभी और आप मुझे लेकर देते हो ? हाँ .....| वैसे ही .....| फिर ......| फिर कान्हा नें अपनी मम्मी को बोला -मुझे भी मुलरी चाहिए | तो मम्मी नें पता है क्या कहा ....? क्या कहा ...? मम्मी नें कहा - तुम आगे से कोइ शैतानी नहीं करोगे तो मैं तुम्हें मुरली लेकर दूंगी | कौन सी शैतानी ? तुम किसी का माखन नहीं चुराओगे प्रोमिस मम्मी मैं आगे से कोइ शैतानी नहीं करूंगा | कान्हा नें कान पकड़ कर मम्मी को सॉरी बोला | तो फिर......... तो फिर मम्मी हँसने लगी और कान्हा को एक मुलरी लेकर दी | कान्हा मुलरी लेकर बहुत हैपी - हैपी हुआ और वो...