गुरुवार, 1 जुलाई 2010

नट्खट कान्हा - 2

 हैलो फ़्रैण्ड्स


मैने पहले आपको कान्हा की एक कहानी सुनाई न । आज कनुआ की एक और कहानी सुनाऊंगा ।



२. नॊटी ब्वाय

कनुआ बहुत ही नाटी ब्वाय था । वह अपनी मम्मी को बहुत परेशान करता था । मम्मी बोलती खाना खा लो तो वह नहीं खाता , न्हाई-न्हाई करलो , तो भी नहीं करता था ।

फ़िर क्या करता था ?

वो बाहर हागी-भागी कर जाता था ।

तो फ़िर...............?

फ़िर वो बच्चों के साथ खेली-खेली करता था और जब भूख लगती तो अपने सारे फ़्रैण्ड्स के साथ चोरी से किसी के घर में घुस जाता ।

हां , तो फ़िर क्या करता ?

फ़िर वो चुपके से उनका दुधु पी जाता , कर्ड खा जाता , बटर खा जाता और नीचे भी गिरा देता था ।

किसी की चिज्जी खाना तो गन्दी बात होती है न ?

हां किसी की चिज्जी कभी नहीं खानी चाहिए , और नीचे भी नहीं गिरानी चाहिए ।

फ़िर कनुआ क्यों गिराता था ?

वो नाटी ब्वाय था न , इसीलिए ।

फ़िर पता है उसकी मम्मी को लोगों नें बताया ।

क्या बताया ?

यही कि कनुआ चोरी से माखन खाता है , दुधु पीता है , दही खाता है और सारा नीचे भी गिरा देता है ।

फ़िर उसकी मम्मी ने क्या किया ?

उसकी मम्मी ने उसको डार्क रूम में बंद कर दिया , उसको कुछ भी नहीं दिख सकता था और वो डरने लगा , नोई-नोई (रोना ) भी करने लगा ।

तो फ़िर उसकी मम्मी नें उसको बाहर नहीं निकाला ?

नहीं जब कनुआ नें मम्मी को सोरी बोला तो मम्मी नें उसको बाहर निकाल दिया और वो फ़िर से खेली खेली करने लगा ।

9 टिप्‍पणियां:

आचार्य उदय ने कहा…

सार्थक अभिव्यक्ति।

Shubham Jain ने कहा…

bachcho ki bhasha me abhut sundar kahani...

माधव( Madhav) ने कहा…

sundar

Udan Tashtari ने कहा…

कनुआ तो बहुत नॉटी निकला.. :)

रंजन ने कहा…

mast..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट!
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आपकी चर्चा तो यहाँ भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/07/203.html

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कहानी कहने का अच्छा अंदाज़...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

अल्ले अल्ले ये तो गलत बात है कनुआ को डार्क रूम में बंद कल दिया...एछे नहीं कलते छोटे बच्चों के छात बच्चे दल जाते हैं. गलत बात.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर!
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इस पोस्ट की चर्चा एक बार फिर गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/4.html