डागी डब्बू !!
वह ना अपने घर जा रहा था , तो उसनें पता है क्या देखा ?
क्या देखा ?
डागी नें एक बनाना देखा । पता है बनाना कहां पडा था ?
कहां पडा था ?
गली में
, और उसके ऊपर तो मोटो( मच्छर ) भी बैठे थे और डागी नें वो बनाना खा लिया ।
फ़िर पता है डागी के पेट में कीडे आ गए ।
क्यों डागी के पेट में कीडे क्यों आ गए ?
उसनें गंदा बनाना खाया था न ।
छी -छी कितनी गंदी बात की न डागी नें ।गंदी चिज्जी खाना गंदी बात होती है न ?
हां , गंदी चिज्जी खाना तो बहुत ही गंदी बात होती है । तुम कभी गंदी चिज्जी नहीं खाना ।
मैं तो अच्छा बच्चा हूं न गंदी चिज्जी कभी नहीं खाता । आप भी मत खाना ।
ओ .के. मैं भी कभी गंदी चिज्जी नहीं खाऊंगी । फ़िर डागी नें क्या किया ?
फ़िर डागी नें मैडिसन ली ।
कौन सी मैडिसन ली ?
जो आप नहीं मुझे देते हो कभी -कभी वार्म्स वाली मैडिसन ।
हां.....
वही मैडिसन डागी नें भी ली
, तो सारे कीडे भाग गए ।
फ़िर डागी की मम्मी नें उसको जोर से डांटा ।
कैसे ?
आगे से गंदी चिज्जी खाओगे
और वो अच्छा बच्चा बन गया ।
मेरी यह कहानी ब्लागोत्सव-2010 में भी प्रकाशित हुई
टिप्पणियाँ
good massage as well
बिजली की कटौती से डरकर
आज की चर्चा मैंने गुरुवार को ही शेड्यूल कर दी थी!
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अगर आपकी संगीता ताई मदद न करतीं,
तो इससे पहलेवाली चर्चा तो हो ही नहीं पाती!
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आपका प्यारा डॉगी मैंने बाद में देखा!
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इसको अगली चर्चा में अवश्य शामिल किया जाएगा!
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यह बहुत अच्छी शिक्षाप्रद कहानी है!
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पाखी की दुनिया में 'पेड़ कहीं कटने ना पायें'
आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा मैंने यहाँ भी की है!
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http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/06/1.html