शनिवार, 18 सितंबर 2010

हर दिन हीरो बनता जाता



पिऊं दूध और खाऊं मलाई 
अच्छी लगती मुझे मिठाई 
थोडा-थोडा बढता जाता 
हर दिन हीरो बनता जाता 

शनिवार, 11 सितंबर 2010

गणेश जी की दुनिया

नमस्कार दोसतो ,
आज गणेश चतुर्थी है न तो मुझे मम्मी नें गणेश जी की एक बहुत अच्छी कहानी सुनाई । मैं आपको भी सुनाऊं ----

गणेश जी की दुनिया 

एक बार गणेश जी अपने बडे भाई कार्तिकेय के साथ खेली-खेली कर रहे थे , तो दोनों भाई फ़ाईट करने लगे ।
फ़ाईट.....पर क्यों ?
क्योंकि गणेश जी के बडे भाई कह्ते थे मैं स्ट्रांग ब्वाय हूं और गणेश जी कहते मैं हूं ।
फ़िर ....
फ़िर दोनों नें एक फ़ैसला किया ।
कैसा फ़ैसला ?
यही कि जो पूरी दुनिया घूम कर सबसे पहले वापिस आएगा , वही स्ट्रांग होगा ।
तो क्या हुआ ?
 तो कार्तिकेय जी तो तेज-तेज भागी-भागी करने लगे और गणेश जी तो भागे ही नहीं ।
फ़िर तो गणेश जी हार गए होंगे ?
नहीं , गणॆश जी नें पता है क्या किया ?
क्या किया ?
उन्होंनें अपने मम्मी-पापा के गिर्द एक चक्कर लगाया और मम्मी की गोदि में बैठकर लड्डु खाने लगे ।
तो कार्तिकेय का क्या हुआ ?
वो तो भागी-भागी करते-करते थक गया और जब वापिस आया तो गणेश जी को मम्मी की गोदि में आराम से बैठा देखकर बोला-
अरे , तुम तो लेज़ी ब्वाय हो , देखो मैं पूरी दुनिया घूम कर आ गया और तुम वहीं बैठे हो , इसलिए मैं स्ट्रांग ब्वाय हूं ।"
तो गणेश जी नें पता है क्या कहा ---
क्या कहा...?
मैं स्ट्रांग ब्वाय हूं , क्योंकि मैं तुमसे पहले ही चक्कर लगा आया हूं ।
पर कैसे ?
मैनें मम्मी पापा के गिर्द घूम लिया और वही मेरी पूरी दुनिया हैं । मम्मी-पापा से बढकर तो कुछ भी नहीं ।"
फ़िर .....?
फ़िर गणेश जी की बात सुनकर कार्तिकेय नें अपनी हार मान ली ।

हैपी गणेशोत्सव टू आल आफ़ यू ।