शनिवार, 26 जून 2010

नट्खट कान्हा

नट्खट कान्हा


मुझे मम्मी नें नटखट कान्हा की बहुत अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाईं , मुझे सुनकर बहुत मजा आया । आपको भी सुना रहा हूं ।



१. एक न बहुत नटखट बेबी था , उसका नाम था कान्हा । उसकी मम्मी उसे प्यार से कहती थी कनुआ ।

उसकी मम्मी उसे कनुआ क्यों कहती थी ?

जैसे मैं आपको प्यार से कनु कहती हूं , वैसे कान्हा की मम्मी भी उसे प्यार से कनुआ कहती थी ।

कनुआ बहुत शरारती ब्वाय था ।

वो क्या करता था ?

वो ऐसे ही शरारतें करता रहता था । एक बार पता है क्या हुआ ?

क्या हुआ ....?

कनुआ नें मिट्टी खा ली ।

मिट्टी तो गंदी चिज्जी होती है न ।

हां , पर कनुआ नें तो खा ली और उसकी मम्मी नें देख लिया ।

फ़िर उसकी मम्मी नें उसे डांटा ....?

नहीं , उसकी मम्मी नें उसे एक ट्री के साथ बांध दिया ।

उसको रस्सी से बांध दिया था....?

हां उसके हाथ रस्सी से बांध दिए थे । और फ़िर पता है क्या हुआ ?

क्या हुआ ....?

कनुआ को पीठ पे खुजली होने लगी ।

फ़िर उसनें क्या किया ? उसके हाथ तो रस्सी से बंधे हुए थे ।

वो अपनी पीठ को ट्री के साथ खुजाने लगा , तो ट्री टूट गया ।

ट्री क्यों टूट गया ?

क्योंकि कनुआ स्ट्रांग ब्वाय था न , वो दुधु पीता था , दही खाता था और बटर भी खाता था ।

इसलिए उसनें ट्री को टच किया तो ट्री टूट गया ।

फ़िर उसकी मम्मी नें उसकी रस्सी खोल दी और बडे वाला हग किया और पाली भी की ।

11 टिप्‍पणियां:

माधव( Madhav) ने कहा…

very nice

दीनदयाल शर्मा ने कहा…

Dear Shubham.....apka birthday...calendar ki akhiri tareekh ko aata hai...is baar 31 december ko ham sabse phle badhaaee denge...aur Gift bhi...main bacchon ko Gift men books deta hoon... acchi acchi books.....mujhe bacchon se behad pyar hai...mera man bacchon jaisa hi hai..man se baccha hoon. apka Deendayal uncle....

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बढ़िया रही ये तो...मजेदार.


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'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !

E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedi ने कहा…

रोचक.
मुझे हिन्दी आती है इसलिए आधी कहानी समझ में ही नहीं आई !!
......... पर पाली क्या होता है !!
पाली तो भाषा होती है.

KK Yadav ने कहा…

Natkhat Kanha..pyara hai.

shubham sachdeva ने कहा…

thank u MADHAV

shubham sachdeva ने कहा…

दीन दयाल अंकल जी मुझे समझ मे नहीं आ रहा कि आपको थैन्क्यू कैसे बोलूं । आशा करता हूं कि आपक स्नेह हमेशा यूं ही बना रहेगा ।

shubham sachdeva ने कहा…

दीन दयाल अंकल जी मुझे समझ मे नहीं आ रहा कि आपको थैन्क्यू कैसे बोलूं । आशा करता हूं कि आपक स्नेह हमेशा यूं ही बना रहेगा ।

shubham sachdev ने कहा…

thank u PAKHI

shubham sachdev ने कहा…

राजीव अंकल आप प्लीज़ हमारी भाषा भी सीख लीजिए ना । जब तक आप बच्चों की भाषा नहीं समझेंगे तब तक आपको कहानी कैसे समझ आएगी ? और हमारी भाषा में मम्मी की किस्सी को पाली (प्यार ) कहते हैं । थैन्क्यू अंकल

SHUBHAM SACHDEV ने कहा…

thank u YAADAV UNCLE