क्या बोला ?
:- देखो तुम कितने गंदे बच्चे हो , भागी-भागे नहीं कर सकते ।
फ़िर कछुए नें पता है क्या बोला ?
क्या बोला ?
रैबिट नें बोला हां हम रेस लगाएंगे ।
क्या किया ?
कछुए नें रैबिट को बोला, हम दोनों तो फ़्रैण्ड हैं और उसे एक चाक्लेट भी खाने को दी ।
रैबिट नें चाक्लेट खा ली । फ़िर दोनों भागी-भागी करने लगे ।
फ़िर पता है क्या हुआ ?
क्या हुआ ?
रैबिट को वोमेट होने लगी ।
क्यों रैबिट को वोमेट क्यों होने लगी ?
कछुए नें जो चाक्लेट दी थी वो गंदी वाली थी न, इसी लिए ।
इस लिए गंदी चिज्जी नहीं खानी चाहिए न \हां गंदी चिज्जी भी नहीं खानी चाहिए और किसी से भी चिज्जी लेकर नहीं खानी चाहिए, न ही किसी से मांगनी चाहिए ।
हा, नहीं तो वोमेट हो जाती है । मैं तो किसी से चिज्जी नहीं लेता । मै तो अच्छा बच्चा हूं न , मुझे तो वोमेट नहीं होगा ।
फ़िर रैबिट तो वोमेट करने लगा और कछुआ भागी -भागी करके जीत गया ।
मेरी यह कहानी भी ब्लागोत्सव-2010 में भी प्रकाशित हुई
6 टिप्पणियां:
mast...
बिलकुल नई कहानी लिख दी बेटा जी..
प्यार..
innovation
अरे वाह!
यह बाल-कता तो बहुत बढ़िया है!
हा..हा..हा...सुन्दर कहानी . खूब मजेदार रही ये तो !!
बहुत बढिया।
मनभावन होने के कारण
चर्चा मंच पर
ख़ुशबू के छोड़ें फव्वारे!
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