मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

चुलबुली और फ़्लावर्स

एक छोटी सी गुडिया थी । उसका नाम पता है क्या था ?
क्या नाम था ?
चुलबुली , वो बहुत नाटी गर्ल थी ।
हां , वो सारा दिन मस्ती करती रहती ।
कैसे मस्ती करती ?
वो कभी खेली-खेली करती , कभी नोई-नोई करती , कभी ट्वायस तोड देती ।
और पता है क्या करती ?
और क्या करती ?
वो जब स्कूल जाती तो स्कूल से फ़्लावर्स तोड लेती ।
जब उसकी मम्मी उसे पाक्र में ले जाती तो वहां भी फ़्लावर्स तोड लेती थी ।
फ़्लावर्स तोडना तो अच्छा नहीं होता न ?
हां फ़्लावर्स तो कभी नहीं तोडते ।
अच्छा पहले मेरे को बताओ फ़्लावर्स क्यों नहीं तोडते ?
फ़्लावर्स तो पौद्धे के साथ ही अच्छे लगते हैं न , जब उनको तोड लेते हैं तो वेस्ट हो जाते हैं , थोडी देर बाद उनसे खुशबू भी गायब हो जाती है और मुरझा भी जाते हैं , फ़िर वो उतने सुन्दर नहीं रहते न । इस लिए फ़्लावर्स कभी नहीं तोडने चाहिएं ।
मैं तो फ़्लावर्स कभी नहीं तोडूंगा ।
गुड ब्वाय । अच्छा बताओ तो फ़िर चुलबुली क्या करती थी ?
चुलबुली तो फ़्लावर्स तोडती थी । फ़िर पता है उसकी मम्मी नें क्या किया ?
क्या किया ?
उसकी मम्मी ना सारे ट्वायस पार्क में साथ ले गई और सारे बच्चों को खेलने को दे दिए ।
फ़िर सारे बच्चे खेलने लगे ?
हां, सारे बच्चे खेली-खेली करने लगे , और फ़िर उन्होंनें ट्वायस वहीं फ़ैंक दिए और तोड भी दिए और भागी-भागी कर गए ।
हां , उसके सारे ट्वाय्स तोड दिए , तो चुलबुली रोने लगी होगी ना ।
हां चुलबुली रोने लगी तो मम्मी ने पता है क्या बोला ?
क्या बोला ?
मम्मी नें बोला ;- देखो तुम्हारे ट्वायस बच्चों नें तोड दिए तो तुम्हें बुरा लगा न और तुम रोने लगी । जब तुम इतने सुन्दर-सुन्दर फ़्लावर्स तोडती हो तो फ़्लावर्स की मम्मी को भी तो बुरा लगता होगा न ।
सोरी मम्मी , मैं आगे से कभी फ़्लावर्स नहीं तोडूंगी ।
फ़िर वो अच्छी बच्ची बन गई और मम्मी नें उसके सारे ट्वायस भी जोड दिए ।

कल मम्मी नें बताया कि हर साल २२ अप्रैल को विश्व धरा दिवस ( अर्थ डे ) होता है , हमें अपनी धरा को हमेशा साफ़-सुथरा रखना चाहिए । मम्मी कहती है जो धरती हमें हमेशा साथ देती है , हमें उसको सुन्दर बनाना चाहिए ।

8 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

बच्‍चों के लिए बढिया आलेख .. अपनी धरा को तो साफ रखना ही चाहिए !!

माधव( Madhav) ने कहा…

सही कहा , धरती माँ के सामान होती है ओउर माँ का सम्मान करना , देखभाल करना उसके बेटों (हमारा ) काम है

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

पुरखों सी पेड़ों की छाया,
शीतल कर दे जलती काया.
***विश्व पृथ्वी दिवस पर खूब पौधे लगायें और धरती को सुन्दर व स्वच्छ बनायें***

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

प्यारी लगी आपकी कहानी..मजा भी आया व सीख भी मिली.

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'पाखी की दुनिया में' पुरानी पुस्तकें रद्दी में नहीं बेचें, उनकी जरुरत है किसी को !

बेनामी ने कहा…

थैंक्यू माधव , तुम तो सारी बातें समझते हो

shubham sachdeva ने कहा…

तुमनें सही कहा अक्षिता , हमें खूब पौद्धे लगाने चाहिएं ताकि हमारी धरती सुन्दर बनी रहे

mridula pradhan ने कहा…

achchi lagi.

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

उपयोगी और प्रेरक होने के कारण
चर्चा मंच पर

झिलमिल करते सजे सितारे!

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